Monday, July 14, 2008

जिन्दगी हवाओं मे बहती है

जिन्दगी हवाओं मे बहती है
लहरों मे मचलती है
ख्वाबों मे बेहेकती है
आसमा मे रंगों मे रहती है

जिन्दगी उमंगों की पोटली है
तरंगों का खजाना है
ख्वाइशों का चहकना है
यादों का दहकना है

जिन्दगी एक कविता पुरानी है
खोयी हुई एक कहानी है
यू तो पड़े हुए मिल जाती है
पर खोजो तो हाथ नही आनी है

जिन्दगी रागों का समंदर है
यू तो कुछ भी नही है
पर बहुत कुछ हर किसी के अंदर है

जिंदगी को लिखूं तो बहुत शब्द हैं
न लिखूं तो कुछ भी कहाँ है
मुझे नही पता
जिंदगी क्या है
शब्धों मे कहूं तो सिर्फ़ इतना है

वो जिन्दगी जिन्दगी नही है
जो जिन्दगी तेरे बिना है


मानस भारद्वाज

9 comments:

रश्मि प्रभा... said...

जिन्दगी रागों का समंदर है
यू तो कुछ भी नही है
पर बहुत कुछ हर किसी के अंदर है.............
बहुत ही उम्दा.

डाॅ रामजी गिरि said...

"जिन्दगी उमंगों की पोटली है
तरंगों का खजाना है
ख्वाइशों का चहकना है
यादों का दहकना है"

काफी हसीन रचना है ज़िन्दगी को लेकर...

GIRISH JOSHI said...

A good poem. Simple but last line makes it effective.

!!अक्षय-मन!! said...

जिंदगी को लिखूं तो बहुत शब्द हैं
न लिखूं तो कुछ भी कहाँ है
मुझे नही पता
जिंदगी क्या है
शब्धों मे कहूं तो सिर्फ़ इतना है

वो जिन्दगी जिन्दगी नही है
जो जिन्दगी तेरे बिना है
jindagi manas k ehesaason main hai jindagi manas k pyar main hai
jindagi manas k shabdo main hai jindagi manas k kalammain hai
manas se bhetar aur kaun janega jindagi ko...
ye is liye khe raha huin kyunki maine abhi hi jindagi dekhi hai padi hai aur padane wala hai manas

Anonymous said...

क्या अलंकार से अलंकृत किया है आपने साथी....

Anonymous said...

[b]ये कविता बहुत ही अच्छी है

दिल को छूने वाली लाजबाब ...............

Amit K Sagar said...

bahut hi badhiya. likhte rahen.
---
idhar se bhi guzaren;
ultateer

Anonymous said...

manas ji .good lines u write ...........
जिन्दगी रागों का समंदर है
यू तो कुछ भी नही है
पर बहुत कुछ हर किसी के अंदर है
kafi payari rachna hai .........

Anonymous said...

bahut hi umda ...
जिंदगी को लिखूं तो बहुत शब्द हैं
न लिखूं तो कुछ भी कहाँ है
मुझे नही पता
जिंदगी क्या है
शब्धों मे कहूं तो सिर्फ़ इतना है
ki aap aane wale time ki neev ho ...aise hi likhte raho ......keep it up

{deepa}