Wednesday, October 22, 2008

तुमसे मोहब्बत है इसलिए अभी ऐतबार बाकी है

तुमसे मोहब्बत है इसलिए ऐतबार बाकी है
इतने धोकों के बाद भी कारोबार बाकी है

मैंने तेरी चाहत में जिंदगी बरबाद कर ली
पर टूटा नही हूँ अभी घरबार बाकी है

मैंने हर आंसू हजारों में बेचा है
बेचना आए तो अभी खरीदार बाकी है

दोस्त तो सारे बदल गए हैं
दुश्मनों में अभी भी मेरा यार बाकी है


मानस भारद्वाज