तूने भी तो सुना हैं दरिया के पानी को
फूलों सी महकती मोहब्बत की कहानी को
कि लब्जों की जबानी सब सच नहीं होती
समंदर की लहरें किसी के बस नहीं होती
ये रातों मे बहता हुआ पैगाम भी सुन ले
आँखों से टपकता हुआ एक नाम भी सुन ले
बात सिर्फ इतनी हैं यहाँ तेरी बात नहीं होती
तू वक़्त के साथ हैं पर कभी साथ नहीं होती
मेरे बस मे सिर्फ इतना हैं तेरा नाम न लूं
सरेआम तेरे साथ रहूँ पर सरेआम न लूं
पर ये यादें भी सिर्फ याद नहीं रहती
साथ हंसती हैं रोटी हैं पर साथ नहीं रहती
चिड्ती हैं खीजती हैं चिडाती हैं यादें
पल दो पल साथ ले जाती हैं यादें
मेरी दुनिया भी कभी कभी मेरी दुनिया नहीं रहती
मैं इनके साथ रहता हूँ ये मेरे साथ नहीं रहती
मानस भारद्वाज
Thursday, September 11, 2008
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13 comments:
very nice dear.......
मेरी दुनिया भी कभी कभी मेरी दुनिया नहीं रहती
मैं इनके साथ रहता हूँ ये मेरे साथ नहीं रहती
bahut sundar.....pyaar men aisa hee hota hai.....
ek muktak....
कहने को बहुत कुछ था कह नहीं पाये,
सुनने को बहुत कुछ था सुन नहीं पाये,
अब ये आलम, जीते हैं, ना मरते हैँ,
तेरे बिन कुछ भी हम सोच नहीं पाये ॥
गीता पंडित
दरिया का पानी बहुत सुन्दर है.. इसे बनाए रखो ..शाबाश लाजवाब ...परन्तु याद रखो ...
हार जीत एक हिस्सा है
हिस्सों में ना तकसीम हों हम
तकसीमो से मन टूटे है
संताप धरा के रूठे है
तुम वक्त पकड़ लो हाथो में
फिर देखो अपनी बात बने
और हार भी अपनी जीत बने ....
दरिया का पानी बहुत सुन्दर है.. इसे बनाए रखो ..शाबाश लाजवाब ...परन्तु याद रखो ...
हार जीत एक हिस्सा है
हिस्सों में ना तकसीम हों हम
तकसीमो से मन टूटे है
संताप धरा के रूठे है
तुम वक्त पकड़ लो हाथो में
फिर देखो अपनी बात बने
और हार भी अपनी जीत बने ....
"ये रातों मे बहता हुआ पैगाम भी सुन ले
आँखों से टपकता हुआ एक नाम भी सुन ले
बात सिर्फ इतनी हैं यहाँ तेरी बात नहीं होती
तू वक़्त के साथ हैं पर कभी साथ नहीं होती"
Ye lines are the best , man ko choo gayi hai boss.
yaar main bahut jaldi bhopal aa raha hoon , aapse milunga jarur,
vijay
वाह, क्या बात है दोस्त..!!
शानदार कवित लिखी है आपने..
अच्छी लगी पढ़कर..
बधाई..
Really very nice one. keet it up dear.
समंदर की लहरें किसी के बस नहीं होती
........ sahi zubaani aur bahut gahri,samandar si
too good, really touching.....
मेरे बस मे सिर्फ इतना हैं तेरा नाम न लूं
सरेआम तेरे साथ रहूँ पर सरेआम न लूं
पर ये यादें भी सिर्फ याद नहीं रहती
साथ हंसती हैं रोटी हैं पर साथ नहीं रहती
manas ............bahut hi acha likha hai aapne .[deepika mahajan]
very very good lago raho.........
bhaut sunder manas
likhte rahe
"ये रातों मे बहता हुआ पैगाम भी सुन ले
आँखों से टपकता हुआ एक नाम भी सुन ले
बात सिर्फ इतनी हैं यहाँ तेरी बात नहीं होती
तू वक़्त के साथ हैं पर कभी साथ नहीं होती"
bahut sundar likha hai bhai,,,,
waise to puri hi acchhi he,,,pr ye char line sabse jyada pasand aayi...
likhte rahiye dost
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