Thursday, June 19, 2008

मैं आ गया हूँ बता

मैं आ गया हूँ बता तेरा पैगाम क्या है
मैं मरने को तैयार हूँ बता इंतजाम क्या है

कोई भी अदालत इसे ग़लत नही कह सकती है
मैंने तो मोहब्बत की है बता तेरा इल्जाम क्या है

सोना चांदी हीरे मोती जो चाहा था सब मिल गया है
पर मुझसे खो गई है जो चीज उसका नाम क्या है

मैंने उससे मोहब्बत की है सीना ठोक के कहता हूँ
फांसी पे लटका दो इससे ज्यादा तुम्हारे बस मे अंजाम क्या है

वोह मेरा है मैं इसी ग़लतफ़हमी मे जी रहा हूँ
जो इस ग़लतफहमी को मिटा सके उसका नाम क्या है

मैं जबसे उससे मिला हूँ तन्हा हूँ पर उसके साथ हूँ
उसके आगे ये फूल तितली सागर शबनम चाँद क्या है

लोग कहते हैं मैं उसे भूल जाऊंगा एक दिन
दिन मान लिया पर रात भी आती है रात का इंतजाम क्या है

मानस भारद्वाज

9 comments:

रश्मि प्रभा... said...

maan gaye,bahut dum hai.......
sarahna ke shabd dhoondh rahi hun.

Anonymous said...

bahut umdaa

डाॅ रामजी गिरि said...

"कोई भी अदालत इसे ग़लत नही कह सकती है
मैंने तो मोहब्बत की है बता तेरा इल्जाम क्या है "

प्यार किया है मैंने ,गुनाह नहीं .. ये भावः अच्छा है .

Unknown said...

very nice ghazal dear

ख्वाब है अफसाने हक़ीक़त के said...

वोह मेरा है मैं इसी ग़लतफ़हमी मे जी रहा हूँ
जो इस ग़लतफहमी को मिटा सके उसका नाम क्या है

Bahut khoob ! Bahut hi sunder abhivyakti hai !

Deepak Gogia

GIRISH JOSHI said...

कोई भी अदालत इसे ग़लत नही कह सकती है

सोना चांदी हीरे मोती जो चाहा था सब मिल गया है

कोई भी अदालत इसे ग़लत नही कह सकती
सोना चांदी हीरे मोती जो चाहा था सब मिल गया

hai hatakar likhane se lines jyada powerful banegi.

Rachana badi sunder hai.

Akhari panktiyo men thoda bandh kamjor laga.

बाल भवन जबलपुर said...

गुलज़ार साहब की ये नज़्म काफी है
बतौर टिपण्णी
तुम्हारे हाथों को चूम कर
छू के अपनी आँखों से आज मैं ने
जो आयतें पड़ नहीं सका
उन के लम्स महसूस कर लिये हैं

मैं.... said...

मैं मरने को तैयार हूँ बता इंतजाम क्या है
मज़ा आ गया मानस...एक एक लाइन में दम है.. बहुत खूब...

sajal said...

first half is better...akhiri ke kuchh sher mein pakad utni mazboot nahi hai...the thoughts are as good,but the expressions do not match with the high standards u usually set....
rachna bahut achhi hai par ek second thought ki zaroorat lagti hai