मैं रोऊंगा तो और रुलाने आएगा
हैं गम बहुत वो आँसू बहाने आयेगा
जिंदगी कि ख्वाइशों का कोई और छोर नहीं
मैं जीना चाहूँगा तो वो मौत के बहाने आएगा
कसक तो बहुत बची हैं दिल में पर
सब भुला दूंगा अगर हाथ मिलाने आएगा
पतझर चल रहा हैं अभी जिंदगी मैं
पर एक दिन वो बनके बहार आएगा
---मानस
Tuesday, April 1, 2008
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2 comments:
kyaaaaaaaaaaa baat heeeeeeeee
sorry bhai ye maine zara apni pro me likhli he jaldi mita dunga
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