इस दुनिया से कुछ कच्ची लड़की
मेरे हर झूठ के बीच सच्ची लड़की
मेरी थोपी हुई मोहब्बत सहने वाली
खामोश रहने वाली अच्छी लड़की
वो ख़्वाबों सी दिखने वाली
वो आँखों पर बिछने वाली
मेरी यादों के परदे पर टंगी
बचपन से बड़ी होती बच्ची , लड़की
वो रेशम के धागे सी
वो आधी रात में जागे सी
वो चाँद पर बैठी हुई
चश्मा लगा के कहती हुई
आईने में खुद को देखती है
बाल पीछे कर के कहती है
मैं भी अच्छी दिखती हूँ तुम्हे ??
मानस तुमको चढ़ गयी है
इस दुनिया से कुछ कच्ची लड़की
मेरे हर झूठ के बीच सच्ची लड़की
मानस भारद्वाज
Tuesday, August 10, 2010
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1 comment:
अच्छी लगी.
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