Tuesday, August 10, 2010

इस दुनिया से कुछ कच्ची लड़की

इस दुनिया से कुछ कच्ची लड़की
मेरे हर झूठ के बीच सच्ची लड़की
मेरी थोपी हुई मोहब्बत सहने वाली
खामोश रहने वाली अच्छी लड़की

वो ख़्वाबों सी दिखने वाली
वो आँखों पर बिछने वाली
मेरी यादों के परदे पर टंगी
बचपन से बड़ी होती बच्ची , लड़की

वो रेशम के धागे सी
वो आधी रात में जागे सी
वो चाँद पर बैठी हुई
चश्मा लगा के कहती हुई
आईने में खुद को देखती है
बाल पीछे कर के कहती है
मैं भी अच्छी दिखती हूँ तुम्हे ??
मानस तुमको चढ़ गयी है

इस दुनिया से कुछ कच्ची लड़की
मेरे हर झूठ के बीच सच्ची लड़की

मानस भारद्वाज

1 comment:

Udan Tashtari said...

अच्छी लगी.