हर्फ़ हर्फ़ सवाली हो जाता है
तेरे बिना जीना गाली हो जाता है
मैं तुझे फ़ोन करता हूँ तू काट देता है
आदमी मुहब्बत मे भिखारी हो जाता है
मुझे तेरे प्यार पे ऐतबार है
पर तेरा रूखापन सवाली हो जाता है
तू जिसे ठुकरा दे वो
अच्छा खासा आदमी सरकारी हो जाता है
तुझे याद करना दर्द कहलाता है
तुझे लिख देना शायरी हो जाता है
तेरे साथ हर लम्हे मे जिंदगी बसती है
तेरे बाद हर लम्हा बेकरारी हो जाता है
सब तेरा ही नाम जपते हैं
तेरी आवाज सुन फ़कीर व्यापारी हो जाता है
सारी दुनिया मे तेरा राज चलता है
हर कोई तेरे सामने दरबारी हो जाता है
तुझसे मोहब्बत बीमारी है
आदमी बिन पैसे का दिहाडी हो जाता है
तू इश्क को खेल समझता है
तेरा चाहने वाला जुआरी हो जाता है
मानस भारद्वाज
Sunday, December 7, 2008
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6 comments:
WAH MANAS BHAI, BAHUT HI ACHHA LIKHA HAI AAPNE.. HUMARI AAM BHASHA ME SARAL SHABDO ME HUM SABKI BAAR KAIVTA KE ROOP ME KAH DI HAI AAPNE.. BADHAYI..!!
achcha, hain lekin kahi kahi atakta hain padhne k bad,
तुझे याद करना दर्द कहलाता है
तुझे लिख देना शायरी हो जाता है
ye bahut badhiya hain
तू इश्क को खेल समझता है
तेरा चाहने वाला जुआरी हो जाता
tera chahne wala ki jagha tujhe chahte wala hona chahiye
baki likhte raho... aur bahut achcha likho...
मानस
आपने काफिया और रदीफ़ के नियम को फोलो नही किया।
आपकी पहली दो लाइनों को देखिये
गाली, सवाली
आपका काफिया बना आली
और आपकी चौथी लाइने में आप्का शब्द खत्म हो रहा है, आरी से।
अगर आप कविता लिख रहे हैं तो सही है, मगर गज़ल मुझे ज़्यादा पसंद आती है।
उम्मीद है, आपको मेरी टिप्पणी से बुरा नही लगा होगा।
tarif kar chuka huin ph. par.......:):)
बहोत खूब लिखा है आपने
अर्श
तुझे याद करना दर्द कहलाता है
तुझे लिख देना शायरी हो जाता है
तेरे साथ हर लम्हे मे जिंदगी बसती है
तेरे बाद हर लम्हा बेकरारी हो जाता है
maanas in panktiyon mein to jaan daal di hai mere bhai ...
kya likha hai ..
badhai
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
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