Tuesday, April 14, 2009

दुनिया का रूप बदल लेते हैं

दुनिया का रूप बदल लेते हैं
ख़ुद का स्वरुप बदल लेते हैं
मुझे तुमसे मोहब्बत है
यही आखिरी सच है
वरना लोग तो घरों मे
आईने लगा लेते हैं
सूरज की धूप बदल लेते हैं

कुछ लोग जिंदगी मे जंगली घास उगने देते हैं
और कुछ लॉन की दूब बदल लेते हैं
कुछ रिश्तो की आजमाइश मे लगे रहते हैं
और कुछ घरों के संदूक बदल लेते हैं

दुनिया का रूप बदल लेते हैं

मानस भारद्वाज

1 comment:

Anonymous said...

kuch rishto ki aajmaish me lage rehte hai
aur kuch gharo k sandook badal dete hain

brilliant Manas........keep it up dude!