तुमसे मोहब्बत है इसलिए ऐतबार बाकी है
इतने धोकों के बाद भी कारोबार बाकी है
मैंने तेरी चाहत में जिंदगी बरबाद कर ली
पर टूटा नही हूँ अभी घरबार बाकी है
मैंने हर आंसू हजारों में बेचा है
बेचना आए तो अभी खरीदार बाकी है
दोस्त तो सारे बदल गए हैं
दुश्मनों में अभी भी मेरा यार बाकी है
मानस भारद्वाज
Wednesday, October 22, 2008
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