कभी कभी तुमसे बिछड़ने का भी गम नहीं होता
मोहब्बत का दुनिया मे कोई भी मरहम नहीं होता
मैं रात भर रोता हूँ पर आँखें नम नहीं होती
मेरे रोने से कभी कोई दरिया कम नहीं होता
मानस भारद्वाज
Saturday, December 20, 2008
Sunday, December 7, 2008
हर्फ़ हर्फ़ सवाली हो जाता है
हर्फ़ हर्फ़ सवाली हो जाता है
तेरे बिना जीना गाली हो जाता है
मैं तुझे फ़ोन करता हूँ तू काट देता है
आदमी मुहब्बत मे भिखारी हो जाता है
मुझे तेरे प्यार पे ऐतबार है
पर तेरा रूखापन सवाली हो जाता है
तू जिसे ठुकरा दे वो
अच्छा खासा आदमी सरकारी हो जाता है
तुझे याद करना दर्द कहलाता है
तुझे लिख देना शायरी हो जाता है
तेरे साथ हर लम्हे मे जिंदगी बसती है
तेरे बाद हर लम्हा बेकरारी हो जाता है
सब तेरा ही नाम जपते हैं
तेरी आवाज सुन फ़कीर व्यापारी हो जाता है
सारी दुनिया मे तेरा राज चलता है
हर कोई तेरे सामने दरबारी हो जाता है
तुझसे मोहब्बत बीमारी है
आदमी बिन पैसे का दिहाडी हो जाता है
तू इश्क को खेल समझता है
तेरा चाहने वाला जुआरी हो जाता है
मानस भारद्वाज
तेरे बिना जीना गाली हो जाता है
मैं तुझे फ़ोन करता हूँ तू काट देता है
आदमी मुहब्बत मे भिखारी हो जाता है
मुझे तेरे प्यार पे ऐतबार है
पर तेरा रूखापन सवाली हो जाता है
तू जिसे ठुकरा दे वो
अच्छा खासा आदमी सरकारी हो जाता है
तुझे याद करना दर्द कहलाता है
तुझे लिख देना शायरी हो जाता है
तेरे साथ हर लम्हे मे जिंदगी बसती है
तेरे बाद हर लम्हा बेकरारी हो जाता है
सब तेरा ही नाम जपते हैं
तेरी आवाज सुन फ़कीर व्यापारी हो जाता है
सारी दुनिया मे तेरा राज चलता है
हर कोई तेरे सामने दरबारी हो जाता है
तुझसे मोहब्बत बीमारी है
आदमी बिन पैसे का दिहाडी हो जाता है
तू इश्क को खेल समझता है
तेरा चाहने वाला जुआरी हो जाता है
मानस भारद्वाज
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