कभी यू ही सामने आ जाती है रौशनी की तरह
अजब सी ये आदतें होती हैं जिंदगी की तरह
बादल मे समा जाता है अक्सर चेहरा उसका
याद आती है उसकी बरसते पानी की तरह
कभी - कभी दोस्तों के साथ हँसी ठिठोली के बीच
उदासी आ जाती है छुट्टियों की दुपहरी की तरह
वो खेलते मे हारती है तो चिड्ती खिजती मारती भी है
वो भी हरकतें करती है कभी-कभी बच्चों की तरह
ये भी अजब बात हुई है मेरे साथ सनम
में भी लिखने लगता हूँ कभी शायरों की तरह
मानस भारद्वाज
Thursday, March 27, 2008
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6 comments:
कभी - कभी दोस्तों के साथ हँसी ठिठोली के बीच
उदासी आ जाती है छुट्टियों की दुपहरी की तरह........
आपकी अभिव्यक्ति बड़ी अच्छी है
bahut khub
ham to aapke kayal ho gaye bhai...............
manas i liked it
kya bat hai mai to aap ka fan ban gayi hoon
BAHUT HI KHUBSURATI KE SATH SAJAYA HAI SHABDO KO AAPNE........
THIS IS RANI MISHRA
http://zindagiekjung.blogspot.com/
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