मुझपे हो के कायल कभी भी ना समझ पाएगी
मेरी बातों को वो जाहिल कभी भी ना समझ पाएगी
गिरेगी ओंस जब सुर्ख सुनहरी रातों में चंदा से
तब क्यों बजती है पायल कभी भी ना समझ पाएगी
बरसती आँखों को मौसम का बदलना मान लेगी
क्यों टपकती है छागल कभी भी ना समझ पाएगी
लकीरों को हाथों में अपने टक टक देखा करेगी
कब पीले होते हैं चावल कभी भी ना समझ पाएगी
बच्ची थी वो , बच्ची है , बच्ची ही रहेगी
क्यों शर्माती है पागल कभी भी ना समझ पाएगी
बहन मेरी उसमे , माँ मेरी , मेरी बेटी भी रहती है
आईने में अपना हासिल कभी भी ना समझ पाएगी
मानस भारद्वाज
Saturday, August 21, 2010
Monday, August 16, 2010
कम से कम गाली तो दे पाता तुम्हे
काश मैं इतना नहीं चाहता तुम्हे
कम से कम गाली तो दे पाता तुम्हे
मैं तुम्हे फ़ोन लगाता रहता हूँ
तुम काटती रहती हो
मैं तुम्हे sms करता हूँ
तुम जवाब नहीं देती हो
मैं तुम्हारी चिंता करता हूँ
मैं रोता रहता हूँ
मैं बिस्तर पर जाता हूँ
मैं सो नहीं पाता हूँ
मैं चिढ़ता रहता हूँ
मैं खीजता रहता हूँ
मैं खुद पर चिल्लाता हूँ
दीवारों पर हाथ मारता हूँ
किताबें फेंक देता हूँ
मुझे बहुत गुस्सा आता है
खुद पर निकालता रहता हूँ
मैं खुद से सवाल करता हूँ
खुद से जीतता रहता हूँ
मैं खुद से हारता रहता हूँ
मैं कितनी भी कोशिश कर लूं
मैं तुम्हे बददुआये दे नहीं पाता
तुम्हारे लिए मन से
दुआएं झरती रहती हैं
मैं खुद को गाली देता हूँ
मैं तुम्हे गाली तक दे नहीं पाता
फिर मेरा फ़ोन vibrate होता है
तुम्हारा sms आता है
"मम्मी के साथ हूँ उल्लू "
मैं reply करता हूँ
कमीनी .........हरामी
पहले नहीं बोल सकती थी
तुम्हारा सिर्फ एक sms जादू करता है
मैं तुम्हे गाली देता हूँ
मैं तुम्हे गालियाँ देने लगता हूँ
मानस भारद्वाज
कम से कम गाली तो दे पाता तुम्हे
मैं तुम्हे फ़ोन लगाता रहता हूँ
तुम काटती रहती हो
मैं तुम्हे sms करता हूँ
तुम जवाब नहीं देती हो
मैं तुम्हारी चिंता करता हूँ
मैं रोता रहता हूँ
मैं बिस्तर पर जाता हूँ
मैं सो नहीं पाता हूँ
मैं चिढ़ता रहता हूँ
मैं खीजता रहता हूँ
मैं खुद पर चिल्लाता हूँ
दीवारों पर हाथ मारता हूँ
किताबें फेंक देता हूँ
मुझे बहुत गुस्सा आता है
खुद पर निकालता रहता हूँ
मैं खुद से सवाल करता हूँ
खुद से जीतता रहता हूँ
मैं खुद से हारता रहता हूँ
मैं कितनी भी कोशिश कर लूं
मैं तुम्हे बददुआये दे नहीं पाता
तुम्हारे लिए मन से
दुआएं झरती रहती हैं
मैं खुद को गाली देता हूँ
मैं तुम्हे गाली तक दे नहीं पाता
फिर मेरा फ़ोन vibrate होता है
तुम्हारा sms आता है
"मम्मी के साथ हूँ उल्लू "
मैं reply करता हूँ
कमीनी .........हरामी
पहले नहीं बोल सकती थी
तुम्हारा सिर्फ एक sms जादू करता है
मैं तुम्हे गाली देता हूँ
मैं तुम्हे गालियाँ देने लगता हूँ
मानस भारद्वाज
Thursday, August 12, 2010
चलो चलो जल्दी करो जश्न मनाओ
चलो चलो जल्दी करो
जश्न मनाओ
१५ अगस्त है
आज़ादी का बिगुल बजाओ
मोबाइल कम्पनियाँ नयी caller tune बनाओ
टीवी वालों एक विज्ञापन कई बार दिखाओ
समाचार पत्रों तुम भी
कुछ सनसनी लाओ ....ज्यादा लाओ
दोपहर को मनोज कुमार की पिक्चर देखो
शाम को कोई नयी वाली , T.R.P वाली देखो
चौराहों पर बच्चों
तिरंगा बेचो , रात की रोटी जुगाडो
खाना खाओ ...बाप को दारु पिलाओ
चलो चलो ....आज़ादी का जश्न मनाओ ..
मेरे देश की धरती सोना उगले
मदर इंडिया को जिंदा करो
सुबह रेडियो पर गाने सुनो
सफ़ेद कपडे पहनो
तिरंगे को सलामी दो
शाम को उतार लो
चलो चलो जल्दी करो
प्रधानमंत्री का भाषण सुनो
उम्मीद मन में जगाओ
उम्मीदों का हवन करो
अपनी आग खुद बुझाओ
चलो चलो जश्न मनाओ
देखो सबको sms करो
एक नही दो चार एक साथ कर दो
देशभक्ति में कोई कमी नहीं होने पाए
भले ही दो चार रूपया ज्यादा ठुक जाए
चलो चलो जल्दी करो
जश्न मनाओ
१५ अगस्त है
आज़ादी का बिगुल बजाओ
मानस भारद्वाज
जश्न मनाओ
१५ अगस्त है
आज़ादी का बिगुल बजाओ
मोबाइल कम्पनियाँ नयी caller tune बनाओ
टीवी वालों एक विज्ञापन कई बार दिखाओ
समाचार पत्रों तुम भी
कुछ सनसनी लाओ ....ज्यादा लाओ
दोपहर को मनोज कुमार की पिक्चर देखो
शाम को कोई नयी वाली , T.R.P वाली देखो
चौराहों पर बच्चों
तिरंगा बेचो , रात की रोटी जुगाडो
खाना खाओ ...बाप को दारु पिलाओ
चलो चलो ....आज़ादी का जश्न मनाओ ..
मेरे देश की धरती सोना उगले
मदर इंडिया को जिंदा करो
सुबह रेडियो पर गाने सुनो
सफ़ेद कपडे पहनो
तिरंगे को सलामी दो
शाम को उतार लो
चलो चलो जल्दी करो
प्रधानमंत्री का भाषण सुनो
उम्मीद मन में जगाओ
उम्मीदों का हवन करो
अपनी आग खुद बुझाओ
चलो चलो जश्न मनाओ
देखो सबको sms करो
एक नही दो चार एक साथ कर दो
देशभक्ति में कोई कमी नहीं होने पाए
भले ही दो चार रूपया ज्यादा ठुक जाए
चलो चलो जल्दी करो
जश्न मनाओ
१५ अगस्त है
आज़ादी का बिगुल बजाओ
मानस भारद्वाज
Tuesday, August 10, 2010
इस दुनिया से कुछ कच्ची लड़की
इस दुनिया से कुछ कच्ची लड़की
मेरे हर झूठ के बीच सच्ची लड़की
मेरी थोपी हुई मोहब्बत सहने वाली
खामोश रहने वाली अच्छी लड़की
वो ख़्वाबों सी दिखने वाली
वो आँखों पर बिछने वाली
मेरी यादों के परदे पर टंगी
बचपन से बड़ी होती बच्ची , लड़की
वो रेशम के धागे सी
वो आधी रात में जागे सी
वो चाँद पर बैठी हुई
चश्मा लगा के कहती हुई
आईने में खुद को देखती है
बाल पीछे कर के कहती है
मैं भी अच्छी दिखती हूँ तुम्हे ??
मानस तुमको चढ़ गयी है
इस दुनिया से कुछ कच्ची लड़की
मेरे हर झूठ के बीच सच्ची लड़की
मानस भारद्वाज
मेरे हर झूठ के बीच सच्ची लड़की
मेरी थोपी हुई मोहब्बत सहने वाली
खामोश रहने वाली अच्छी लड़की
वो ख़्वाबों सी दिखने वाली
वो आँखों पर बिछने वाली
मेरी यादों के परदे पर टंगी
बचपन से बड़ी होती बच्ची , लड़की
वो रेशम के धागे सी
वो आधी रात में जागे सी
वो चाँद पर बैठी हुई
चश्मा लगा के कहती हुई
आईने में खुद को देखती है
बाल पीछे कर के कहती है
मैं भी अच्छी दिखती हूँ तुम्हे ??
मानस तुमको चढ़ गयी है
इस दुनिया से कुछ कच्ची लड़की
मेरे हर झूठ के बीच सच्ची लड़की
मानस भारद्वाज
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