रात की खामोसी जब दिल की बेकारी हो जाए
दोस्त ही अपने दुश्मनों से भारी हो जायें
तब लगता है हम भी सरकारी हो जायें
दुनिया का रंग पहचान ले कारोबारी हो जायें
वोह मेरा दर्द समझ नही सकता
और तो सारे नुस्खे आजमा लिए
अब उसे छोड़ने की तयारी हो जाए
मानस भारद्वाज
Thursday, April 16, 2009
Tuesday, April 14, 2009
दुनिया का रूप बदल लेते हैं
दुनिया का रूप बदल लेते हैं
ख़ुद का स्वरुप बदल लेते हैं
मुझे तुमसे मोहब्बत है
यही आखिरी सच है
वरना लोग तो घरों मे
आईने लगा लेते हैं
सूरज की धूप बदल लेते हैं
कुछ लोग जिंदगी मे जंगली घास उगने देते हैं
और कुछ लॉन की दूब बदल लेते हैं
कुछ रिश्तो की आजमाइश मे लगे रहते हैं
और कुछ घरों के संदूक बदल लेते हैं
दुनिया का रूप बदल लेते हैं
मानस भारद्वाज
ख़ुद का स्वरुप बदल लेते हैं
मुझे तुमसे मोहब्बत है
यही आखिरी सच है
वरना लोग तो घरों मे
आईने लगा लेते हैं
सूरज की धूप बदल लेते हैं
कुछ लोग जिंदगी मे जंगली घास उगने देते हैं
और कुछ लॉन की दूब बदल लेते हैं
कुछ रिश्तो की आजमाइश मे लगे रहते हैं
और कुछ घरों के संदूक बदल लेते हैं
दुनिया का रूप बदल लेते हैं
मानस भारद्वाज
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