I WROTE THIS GAZAL LAST NIGHT AND THIS MORNING I FOUND A VERY OLD FRIEND OF MY CHILDHOOD .I DEVOTE IT TO HIM ..................
NILAY ITS FOR YOU ........
उसके हुस्न का ये भी जादू था कि कोई उसे सहने वाले नही मिले
उसके लिए मरने वाले तो बहुत थे पर उसके लिए जीने वाले नही मिले
वह बला कि खूबसूरत थी चाँद को भी मात देती उसकी सूरत थी
पर हमारे बाद कभी उसे हम जैसे दीवाने नही मिले
एक सुखा हुआ फूल ताउम्र अपनी किताब मे रखा हमने
उसके याद आने के कई कारण थे उसे भुलाने के बहाने नही मिले *
तेरे बिना भी हम अपनी सल्तनत के बादशाह थे अपने पर गुरुर न कर
तुझसे मुहब्बत मे सिर्फ़ दर्द ही मिला कोई खजाने नही मिले
मानस भारद्वाज
* ये शेर किसी और शेर से मिलता हुआ मुझे प्रतीत होता हैं । होता क्या हैं कि कई बार कविता लिखते समय हम भाव मे बहते हुए किसी और कि पंक्ति को अपना समझ लेते हैं । पाठकों से निवेदन हैं कि वे धेर्य से काम ले
और अगर उन्हें इसके शायर का नाम पता हैं तो मुझे बताये । मुझे उनका नाम लिखकर एक बोझ अपने ऊपर से उतरता हुआ महसूस होगा ।
Friday, April 25, 2008
Thursday, April 17, 2008
मन अनुरागी तन बैरागी
मन अनुरागी तन बैरागी ये कोरी दुनियादारी हैं
कुछ उनका भोलापन हैं कुछ सीधे सीधे लाचारी हैं
सीधी राहें पकड़ के चलना सबके बस कि बात नहीं
हमसे पूछो टेडी दुनिया में सीधा चलना कितनी बड़ी फनकारी हैं
आखिर दुनिया तूने हमको फसा ही डाला जाल में अपने
दिल अब उनसे मिलाते हैं जिनसे हाथ मिलाना भी भारी हैं
ख्वाब हमारे उसके वास्ते हैं जिससे कोई रिश्ता नहीं हैं
और जिनसे दुश्मनी होनी थी उनसे हमारी यारी है
---मानस भारद्वाज
ये ग़ज़ल निदा फाजली साहब की ग़ज़ल से प्रेरणा प्राप्त कर लिखी गई हैं ...
कुछ उनका भोलापन हैं कुछ सीधे सीधे लाचारी हैं
सीधी राहें पकड़ के चलना सबके बस कि बात नहीं
हमसे पूछो टेडी दुनिया में सीधा चलना कितनी बड़ी फनकारी हैं
आखिर दुनिया तूने हमको फसा ही डाला जाल में अपने
दिल अब उनसे मिलाते हैं जिनसे हाथ मिलाना भी भारी हैं
ख्वाब हमारे उसके वास्ते हैं जिससे कोई रिश्ता नहीं हैं
और जिनसे दुश्मनी होनी थी उनसे हमारी यारी है
---मानस भारद्वाज
ये ग़ज़ल निदा फाजली साहब की ग़ज़ल से प्रेरणा प्राप्त कर लिखी गई हैं ...
Tuesday, April 8, 2008
कोई भाव नही आते हैं आज
कोई भाव नही आते हैं आज
शब्द सारे ख़त्म हो चुके हैं
ना कोई बैचैनी न कोई दर्द
दिल साला अब खाली - खाली हैं
बस मैं ख़ुद हूँ
ख़ुद मैं समाया हूँ
कोई भाव नही आते हैं आज
तू आ आज रात मुझमे कविता जगा
कोई भाव नही आते हैं आज
-----मानस
शब्द सारे ख़त्म हो चुके हैं
ना कोई बैचैनी न कोई दर्द
दिल साला अब खाली - खाली हैं
बस मैं ख़ुद हूँ
ख़ुद मैं समाया हूँ
कोई भाव नही आते हैं आज
तू आ आज रात मुझमे कविता जगा
कोई भाव नही आते हैं आज
-----मानस
Friday, April 4, 2008
रात चांदनी
रात चांदनी मेरे साथ जली थी
मैंने देखा था सितारों में आग लगी थी
महका - महका धुआ निकला था
रात चाँद पर राख उडी थी
रात चांदनी मेरे साथ जली थी
---मानस
मैंने देखा था सितारों में आग लगी थी
महका - महका धुआ निकला था
रात चाँद पर राख उडी थी
रात चांदनी मेरे साथ जली थी
---मानस
Tuesday, April 1, 2008
अक्सर मेरे साथ ये एहसास चलता हैं
अक्सर मेरे साथ ये एहसास चलता हैं
अक्सर मेरे साथ तू नहीं तेरा साथ चलता हैं
जिस्म रूह खुदा मैं सब भूल जाता हूँ
मेरी दुनिया का हर कतरा तेरे आसपास चलता हैं
मोहब्बत नफरत खुशियाँ गम सब मिट जाते हैं
जब तेरे साथ चलता हूँ खुदा साथ चलता हैं
उदास सा एक किस्सा मेरे आसपास चलता हैं
अक्सर मेरे साथ ये एहसास चलता हैं
अक्सर मेरे साथ तू नहीं तेरा साथ चलता हैं
---मानस
अक्सर मेरे साथ तू नहीं तेरा साथ चलता हैं
जिस्म रूह खुदा मैं सब भूल जाता हूँ
मेरी दुनिया का हर कतरा तेरे आसपास चलता हैं
मोहब्बत नफरत खुशियाँ गम सब मिट जाते हैं
जब तेरे साथ चलता हूँ खुदा साथ चलता हैं
उदास सा एक किस्सा मेरे आसपास चलता हैं
अक्सर मेरे साथ ये एहसास चलता हैं
अक्सर मेरे साथ तू नहीं तेरा साथ चलता हैं
---मानस
मैं रोउंगा तो और रुलाने आयेगा
मैं रोऊंगा तो और रुलाने आएगा
हैं गम बहुत वो आँसू बहाने आयेगा
जिंदगी कि ख्वाइशों का कोई और छोर नहीं
मैं जीना चाहूँगा तो वो मौत के बहाने आएगा
कसक तो बहुत बची हैं दिल में पर
सब भुला दूंगा अगर हाथ मिलाने आएगा
पतझर चल रहा हैं अभी जिंदगी मैं
पर एक दिन वो बनके बहार आएगा
---मानस
हैं गम बहुत वो आँसू बहाने आयेगा
जिंदगी कि ख्वाइशों का कोई और छोर नहीं
मैं जीना चाहूँगा तो वो मौत के बहाने आएगा
कसक तो बहुत बची हैं दिल में पर
सब भुला दूंगा अगर हाथ मिलाने आएगा
पतझर चल रहा हैं अभी जिंदगी मैं
पर एक दिन वो बनके बहार आएगा
---मानस
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